प्रेमचंद के उपन्यास "सेवासदन" का उर्दू नाम "बाज़ार-ए-हुस्न" है।
यह उपन्यास पहले उर्दू में लिखा गया था और बाद में इसका हिंदी अनुवाद "सेवासदन" नाम से किया गया। "बाज़ार-ए-हुस्न" में प्रेमचंद ने समाज में महिलाओं की स्थिति, उनके अधिकारों, और नैतिकता के मुद्दों पर गहराई से प्रकाश डाला है। यह उपन्यास दहेज प्रथा, बाल विवाह, और सामाजिक भेदभाव जैसे विषयों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है।
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