मोतीझरा (Enteric Fever) और इसके निदान
मोतीझरा, जिसे आमतौर पर 'टाइफाइड' के नाम से जाना जाता है, एक तीव्र ज्वर है जो कुछ हफ्तों तक बना रह सकता है और इसे Salmonella Typhosa नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न किया जाता है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, दुर्बलता, प्लाहा की वृद्धि (Splenomegaly) और त्वचा पर दाने शामिल हैं। मोतीझरा का नाम इसके लक्षणों के कारण पड़ा है, जो कि टाइफस ज्वर से भिन्न हैं, और इसे इसलिए पृथक किया गया है क्योंकि इसके लक्षण और रोग के कारण अलग हैं।
रोग की पहचान और कारण
सालमोनिला टाइफोसा मनुष्यों में एक परीजीवी की तरह काम करता है और यह मूत्र और मल के माध्यम से बाहर निकलता है। कई बार, व्यक्ति रोगमुक्त होने के बावजूद, जीवाणु उनके शरीर में बने रह सकते हैं और उनके मूत्र तथा मल के माध्यम से बाहर निकलते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों को रोगवाहक कहा जाता है और ये संक्रमण फैलाने में अत्यधिक खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, खाद्य और पेय पदार्थों के माध्यम से जीवाणु संक्रमण को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रोग से बचाव के उपाय
मोतीझरा के नियंत्रण और रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
भोजन और पेय पदार्थों को सुरक्षित और स्वच्छ बनाना।
रोगी के मल, मूत्र और जूठे बरतनों की स्वच्छता सुनिश्चित करना।
जल स्रोतों जैसे नदी, तालाब, कूप आदि की स्वच्छता बनाए रखना।
शौचालय की उचित सफाई और मलमूत्र के सही निपटान की व्यवस्था करना।
रोगनाशक औषधियों का प्रयोग करना और मक्खियों को नष्ट करना।
टी.ए.बी. (टाइफाइड एंटीजन बूस्टर) का टीका लगवाना।
रोग के लक्षण और निदान
मोतीझरा के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और इसमें सिरदर्द, भूख न लगना, सुस्ती, बुखार का बढ़ना और त्वचा पर मोती जैसे दाने निकलना शामिल हो सकता है। रोग का निदान सामान्यतः विडाल टेस्ट (Widal test) द्वारा किया जाता है, जो विशेष सीरम परीक्षा पर आधारित होता है। रोग की पुनरावृत्ति भी आम है और इसके कुछ जटिल समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं जैसे आँतों के ब्रण से रक्तस्राव, आँत के व्रण में छेद और पेट की झिल्ली में शोथ।
उपचार
आधुनिक चिकित्सा में मोतीझरा के उपचार के लिए तरल पोषक आहार, रोगलक्षणों की चिकित्सा और विशिष्ट औषधि क्लोरोमाइसिटिन का प्रयोग किया जाता है। उचित चिकित्सा और देखभाल से रोग के प्रभावी उपचार में मदद मिलती है।
सावधानी और स्वच्छता का पालन करके मोतीझरा से बचाव संभव है और इसके प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है।
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