दूर्वा किसे कहते हैं? ( Durva kise kahte hain?)

 

दूर्वा का परिचय (Introduction of Durva Grass)

दूर्वा (जिसे दूब भी कहते हैं) भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखती है। गणेश चतुर्थी पूजा के समय इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, क्योंकि यह गणेशजी को अत्यंत प्रिय है। लेकिन पूजा के अलावा, दूर्वा के फायदे भी अनगिनत हैं। आयुर्वेद के अनुसार, दूर्वा में औषधीय गुण होते हैं, जिससे यह कई बीमारियों का उपचार करने में सहायक है।

दूर्वा घास क्या है? (What is Durva Grass in Hindi?)

दूर्वा घास (Cynodon dactylon) एक हरी-भरी, मखमली घास है जो पूरे वर्ष उगती है। यह बहु शाखाओं वाली, फैलने वाली घास होती है, जो भूमि पर चारों ओर फैलती है। इसके पत्ते संकुचित और भालाकार होते हैं, जबकि इसके फूल हरे-बैंगनी रंग के होते हैं। यह घास कड़ी और शीतल होती है, जो कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है।

दूर्वा घास के फायदे (Durva Grass Uses and Benefits in Hindi)

  1. सिरदर्द में लाभ:

    • काम के तनाव के कारण सिरदर्द होने पर, दूर्वा और चूने को पानी में पीसकर कपाल पर लेप करने से राहत मिलती है।

  2. आँखों का दर्द:

    • कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने या थकावट से आँखों में दर्द होता है, तो दूर्वा को पीसकर पलकों पर बांधने से आराम मिलता है।

  3. नकसीर:

    • नाक से खून बहने पर, दूर्वा रस को अनार फूल के रस के साथ मिलाकर नाक में डालने से फायदा होता है।

  4. उल्टी:

    • मसालेदार खाने के कारण उल्टी होने पर, 5 मिली दूर्वा रस पिलाने से राहत मिलती है।

  5. दस्त:

    • दस्त की समस्या में, दूर्वा के ताजे पञ्चाङ्ग का रस पीने से लाभ होता है।

  6. जलशोफ:

    • शरीर में पानी जमने के कारण सूजन और दर्द में, दूर्वा घास के काढ़े का सेवन फायदेमंद है।

  7. पाइल्स:

    • बवासीर के इलाज के लिए, दूर्वा पञ्चाङ्ग को दही में मिलाकर या घृत में भली-भाँति मिला कर लेप करने से लाभ होता है।

  8. ब्लीडिंग:

    • मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव को कम करने के लिए, दूर्वा रस को घी के साथ बनाकर उपयोग किया जा सकता है।

  9. पथरी:

    • किडनी स्टोन को निकालने के लिए, दूर्वा को पानी में पीसकर मिश्री मिलाकर सेवन करने से पथरी टूटकर निकल जाती है।

  10. मूत्र संबंधी समस्याएं:

    • मूत्रदाह और अन्य मूत्र संबंधी समस्याओं में, दूर्वा के जड़ का काढ़ा पीना लाभकारी है।

  11. रक्तप्रदर:

    • योनि मार्ग से रक्तस्राव (रक्तप्रदर) को रोकने के लिए, दूर्वा के रस में सफेद चन्दन और मिश्री मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

  12. हर्पीस:

    • हर्पीस और दाद की समस्याओं में, दूर्वा के रस से बने घृत का सेवन करने से लाभ होता है।

  13. शीतपित्त:

    • त्वचा पर पित्ती (शीतपित्त) की समस्या में, दूर्वा और हल्दी का पेस्ट लगाने से लाभ होता है।

  14. मिर्गी:

    • मिर्गी के इलाज के लिए, 5-10 मिली दूर्वा पञ्चाङ्ग के रस का सेवन फायदेमंद होता है।

  15. मलेरिया:

    • मलेरिया के लक्षणों में राहत के लिए, दूर्वा के रस में अतीस चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

दूर्वा घास का उपयोग कैसे करें? (How to Use Durva Grass in Hindi)

दूर्वा घास के सेवन का तरीका आपकी बीमारी और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्य रूप से, 10-20 मिली रस या 10-30 मिली काढ़ा उपयोग में लाया जा सकता है। किसी विशेष इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना उचित रहेगा।

दूर्वा घास का यह व्यापक उपयोग और इसके फायदे इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण औषधि बनाते हैं।

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