कारक के आठ भेद निम्नलिखित होते हैं:
1. कर्ता— ने
2. कर्म— को
3. करण— से, के द्वारा
4. संप्रदान— के लिए
5. अपादान— से (अलग होने पर)
6. संबंध— का, के, की, रा, री, रे
7. अधिकरण— में, पर
8. संबोधन— हे! अरे! भो!
इनका अर्थ याद रखने के लिए निम्नलिखित पद की रचना की गई है:
कर्ता ने अरु कर्म को, करण रीति से जान।
संप्रदान को, के लिए, अपादान से मान।
का, के, की, संबंध हैं, अधिकरणादिक में मान।
रे! हे! हो! संबोधन, मित्र धरहु यह ध्यान।
विशेष: कर्ता से अधिकरण तक विभक्ति चिह्न (परसर्ग) शब्दों के अंत में लगाए जाते हैं, जबकि संबोधन कारक के चिह्न-हे, रे, आदि प्रायः शब्द से पूर्व लगाए जाते हैं।
1. कर्ता कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे 'कर्ता' कारक कहते हैं। इसका संकेत 'ने' होता है। भूतकाल में सकर्मक धातुओं के साथ 'ने' का प्रयोग होता है। उदाहरण:
- राम ने रावण को मारा।
- लड़की स्कूल जाती है।
विशेष:
- भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ 'ने' नहीं लगता। जैसे: वह हँसा।
- वर्तमानकाल और भविष्यत्काल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ 'ने' का प्रयोग नहीं होता। जैसे: वह फल खाता है, वह फल खाएगा।
- कभी-कभी 'को' और 'से' का प्रयोग भी किया जाता है, जैसे:
- बालक को सो जाना चाहिए।
- सीता से पुस्तक पढ़ी गई।
2. कर्म कारक
कार्य जिस पर हो रहा होता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। इसका संकेत 'को' होता है। उदाहरण:
- मोहन ने साँप को मारा।
- लड़की ने पत्र लिखा।
3. करण कारक
संज्ञा आदि शब्दों के जिस रूप से क्रिया के करने के साधन का बोध होता है, उसे करण कारक कहते हैं। इसका संकेत 'से' या 'के द्वारा' होता है। उदाहरण:
- अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा।
- बालक गेंद से खेल रहे हैं।
4. संप्रदान कारक
जिसके लिए कोई कार्य किया जाए या जिसे कुछ दिया जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। इसका संकेत 'के लिए' होता है। उदाहरण:
- मैं दिनेश के लिए चाय बना रहा हूँ।
- स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।
5. अपादान कारक
जिससे एक वस्तु दूसरी से अलग होती है, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका संकेत 'से' होता है। उदाहरण:
- पेड़ से आम गिरा।
- बच्चा छत से गिर पड़ा।
6. संबंध कारक
शब्द के जिस रूप से किसी वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो, उसे संबंध कारक कहते हैं। इसका संकेत 'का', 'के', 'की', 'रा', 'री', 'रे' होता है। उदाहरण:
- यह राधेश्याम का बेटा है।
- यह कमला की गाय है।
7. अधिकरण कारक
जिस शब्द से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसका संकेत 'में', 'पर' होता है। उदाहरण:
- भँवरा फूलों पर मँडरा रहा है।
- कमरे में टी.वी. रखा है।
8. संबोधन कारक
जिससे किसी को पुकारने या बुलाने का भाव प्रकट हो, उसे संबोधन कारक कहते हैं और संबोधन चिह्न (!) का प्रयोग होता है। उदाहरण:
- अरे भैया! क्यों रो रहे हो?
- हे गोपाल! यहाँ आओ।
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