अम्लीय वर्षा किसे कहते हैं (Amliya Varsha kise kahte hain?)

दोस्तों आज इस लेख के माध्यम से हम अम्लीय वर्षा के बारे में जानेंगे तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं अम्लीय वर्षा किसे कहते हैं?

अम्लीय वर्षा किसे कहते हैं? (Acid Rain in hindi)

पृथ्वी के वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जल के साथ क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल और गंधक का तेजाब बना लेते हैं जो वर्ष के रूप में पृथ्वी पर गिरता है जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। अतः हम कर सकते हैं की वर्षा जो प्राकृतिक रूप से अम्लीय होती है अम्लीय वर्षा कहलाती है। 


इस प्रकार की वर्षा में अम्ल दो प्रकार की वायु प्रदूषण से आते हैं- सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड , यह प्रदूषण मुख्य रूप से कारखाने की चिमनियों बेसन हुआ स्वचालित वाहनों से उत्सर्जित होकर वायुमंडल में मिल जाती है। वर्षा के जल का पीएच मान अगर 5.6 से कम हो गया, तो वह अम्लीय वर्षा होती है। 

अम्लीय वर्षा के दुष्परिणाम

अम्लीय वर्षा के कारण जल में रहने वाले प्राणियों की मृत्यु, खेतों तथा पेड़ पौधों की वृद्धि में कमी, तवा तथा शिक्षा जैसे खतरनाक तत्वों का जल में मिश्रण आदि यह सभी परिणाम देखने को मिलते हैं। जर्मनी तथा पश्चिमी यूरोप में जंगलों के खत्म होने का एक कारण अम्लीय वर्षा भी है। मनुष्य के ऊपर भी इसका गंभीर परिणाम पड़ता है। अम्लीय वर्षा के कारण ही आगरा का ताजमहल पीला पड़ रहा है। 

अम्लीय वर्षा के हानिकारक प्रभाव

इसके हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं- 

  1. अम्ल के द्वारा पदार्थ तथा संरचनाओं में दुर्बलता आ जाती है। जिसके कारण मार्बल लाइमस्टोन सेंडस्टोन आदि से निर्मित बिल्डिंग डैमेज होने लगती है। 

  2. अम्ल वर्षा के कारण मृदा की अम्लीयता में वृद्धि होती है, जिसका प्रभाव मानव तथा जलीय जीवन पर विपरीत रूप से पड़ता है तथा कृषि उत्पादकता में कमी आती है। 

  3. इस प्रकार की वर्षा के कारण स्टाइल जिंक ऑइल बेस्ट पेंट तथा ऑटोमोबाइल कोटिंग्स आदि का संछारण होने लगता है। 

अम्लीय वर्षा का नियंत्रण

अम्लीय वर्षा का नियंत्रण निम्न प्रकार से कर सकते हैं- 

  1. जल स्रोतों तथा कृषि योग्य भूमि को पेरिओडिक्लयी लाइमड करना चाहिए, जिससे इस प्रकार की वर्षा के दौरान अम्लीयत उदासीन हो जाती है। 

  2. ऐसे ईंधनों का इस्तेमाल करना जिसमे सल्फर अनुपस्थित हो। ऐसा करने से वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड गैस की मात्रा में कमी आएगी। 

  3. कोयले को जलाते समय निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड को पुनः इस्तेमाल करने के लिए स्कर्बर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। 

  4. प्रदूषण को कम करने के लिए पब्लिक को जागरूक करना चाहिए।

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