तत्वों के परमाणुओं के परस्पर संयोजन क्षमता को ही संयोजकता कहते हैं। अर्थात किसी परमाणु की बाहरी कक्षा में पाई जाने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या ही संयोजकता होती है। तत्वों के ही अंतिम कोश को संयोजी कोश भी कहते हैं। संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन ही किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकते हैं। किसी तत्व की अभिक्रियाशीलता उसे तत्व के संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करता है। किसी तत्व की बंध बनाने की प्रवृत्ति का आकलन संयोजकता के आधार पर ही किया जाता है। जैसे कि संयोजक बंध, सहसंयोजक और आयनिक बंध। संयोजकता का यथार्थ ज्ञान ही संपूर्ण रसायन शास्त्र की नीव है। अन्य शब्दों में कहें तो संयोजकता एक संख्या है जो यह प्रदर्शित करती है कि कोई परमाणु कितने इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है या खोता है या साझा करता है, जब वह अपने ही तत्व के परमाणु से या किसी अन्य तत्वों के परमाणु से बंधन बनाता है।
0 टिप्पणियाँ